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क्या अपने दूसरे महाभियोग ट्रायल में भी बरी हो पाएंगे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप?

वाशिंगटन 
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दूसरा ऐतिहासिक महाभियोग ट्रायल मंगलवार से शुरू हो रहा है, जिसमें सीनेट को यह फैसला करना है कि 6 जनवरी को यूएस के कैपिटल हिल यानि अमेरिकी संसद की घेराबंदी करने के लिए ट्रंप को उनके समर्थकों की हिंसक भीड़ को उकसाने का दोषी ठहराया जाए या नहीं। ट्रम्प के बरी होने की उम्मीद सभी सीनेटरों पर टिकी है। सभी 100 सीनेटर को पहले अपने डेस्क पर बैठना होगा और हाउस डेमोक्रेट द्वारा दंगों की घंटो की ग्राफिक टेस्टीमनी सुनना होगा, जिसमें पांच लोग मारे गए थे। सदन ने कैपिटल हिल में हुई हिंसा के एक सप्ताह बाद यानि 13 जनवरी को ट्रम्प पर महाभियोग लगाया था।

कैसे होता है ट्रायल?
अमेरिकी संविधान कहता है कि सदन के पास महाभियोग की एकमात्र शक्ति है, जबकि सीनेट के पास उस व्यक्ति के ट्रायल की एकमात्र शक्ति होता है। जिस व्यक्ति पर महाभियोग चलाया जाता है, वह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या संयुक्त राज्य अमेरिका का कोई भी सिविल अधिकारी हो सकता है, जिसे दो-तिहाई सीनेटरों के बहुमत से दोषी ठहराया जा सकता है। हाउस अभियोजन पक्ष के रूप में प्रबंधकों को नियुक्त करता है जो सीनेट के सामने प्रतिवादी के वकीलों के साथ उनका मामला प्रस्तुत करता है। अभियोजकों और ट्रम्प की डिफेंस टीम के पास तर्क करने के लिए एक निर्धारित समय होगा और फिर सीनेटर एक अंतिम वोट से पहले लिखित रूप से कुछ सवाल भी पूछ सकते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश आम तौर पर एक राष्ट्रपति के ट्रायल की अध्यक्षता करते हैं, लेकिन क्योंकि ट्रम्प ने पद छोड़ दिया है। ऐसे में पीठासीन अधिकारी सेन पैट्रिक लीहाइ इस भूमिका में होंगे, जो लंबे समय तक बहुमत दल के सदस्य सीनेट के औपचारिक प्रमुख हैं। एक बार जब सीनेटर महाभियोग के आरोप पर अपने अंतिम मत पर पहुंच जाते हैं, तो हर एक सीनेटर खड़े होकर और इस मामले पर अपना वोट डालता है। ट्रंप के मामले में भी सीनेटर बताएंगे कि वह उन्हें दोषी मानते हैं या नहीं। यह स्पष्ट तो नहीं है कि ट्रायल कितना लंबा चलेगा। लेकिन ट्रम्प पर लगे पहले महाभियोग के ट्रायल के दौरान, जिसमें उन्हें यूक्रेन पर दबाव डालकर सत्ता का दुरुपयोग करने के आरोपों से बरी कर दिया गया था, भी लगभग तीन हफ्ते का समय लगा था। लेकिन इस बार यह समय कम होने की उम्मीद है, क्योंकि सीनेटरों को मामले के बारे में कई चीजें पहले पता हैं, जो इस विद्रोह के दौरान कैपिटल हिल में हुई थीं।

रिपब्लिकन और ट्रम्प के वकीलों का तर्क है कि यह ट्रायल अनावश्यक है। उनका कहना है कि यह असंवैधानिक भी है, क्योंकि ट्रम्प अब राष्ट्रपति नहीं हैं, तो उन्हें पद से हटाया ही नहीं जा सकता है। हालांकि डेमोक्रेट्स इस बात से असहमत हैं और कई कानूनी विद्वानों की बातों और युद्ध के एक पूर्व सचिव विलियम बेल्कनैप के महाभियोग की ओर इशारा कर रहे हैं, जिन पर 1876 में एक किकबैक योजना से पहले महाभियोग लगाया था। हालांकि बेल्कनैप को सीनेट ने पूरे ट्रायल के बाद अंत में बरी कर दिया गया था। और इस बार सदन ने ट्रम्प पर महाभियोग तब लगाया था, जब वह राष्ट्रपति के पद पर मौजूद थे, बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से सात दिन पहले। ट्रंप के पहले महाभियोग का ट्रायल ट्रम्प और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच एक निजी फोन कॉल के बारे में सदन द्वारा कई महीनों से उजागर किए गए सबूतों पर आधारित था, साथ ही साथ पहले और बाद में हुई बंद-दरवाजे की बैठकें भी थी। डेमोक्रेट ने इसकी एक लंबी जांच की और फिर अपने निष्कर्षों की एक रिपोर्ट फाइल की थी।  इसके बिल्कुल उलट, दूसरा ट्रायल लगभग पूरी तरह से दंगे के आंतकित कर देने वाले अनुभव पर आधारित है, जिसमें कैपिटल हिल में मौजूद सीनेटरों को टारगेट किया गया था। विद्रोहियों ने सीनेट कक्ष का भी उल्लंघन किया, जहां ट्रायल आयोजित किया जाएगा। 26 जनवरी को एक ट्रायल वोट में, केवल पांच सीनेट रिपब्लिकन ने ट्रायल को खारिज करने के प्रयास के खिलाफ मतदान किया, जो एक प्रारंभिक संकेत है कि ट्रम्प के फिर से बरी होने की संभावना है।
 

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