कोरोना काल के दौरान बंद रहे रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी की फीस बरकतउल्ला ने विद्यार्थियों से वसूली
भोपाल
देश में 23 मार्च से अभी तक कॉलेज और विवि को खोलने की शत प्रतिशत स्वीकृति नहीं दी गई है। इसके बाद भी बरकतउल्ला विश्ववविद्यालय ने कोरोना काल के दौरान बंद रहे रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी की फीस विद्यार्थियों से वसूली है। फीस जमा नहीं करने की दशा में विद्यार्थियों को आरडीसी (रिसर्च डेवलप कमेटी) में शामिल नहीं होने की चेतवानी दी गई, जिसके दवाब में आकर विद्यार्थियों को फीस जमा करना पड़ी है।
बीयू की लेटलतीफी का शिकार विद्यार्थी हो रहे हैं। लेटलतीफी स्वयं बीयू करता है और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को समय बर्बाद होने के साथ समय पर काम नहीं होने पर अतिरिक्त फीस का भुगतान करके करना पड़ रहा है। बीयू ने 2017 दिसंबर में पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई थी। इसकी साक्षात्कार मार्च 2019 में कराए गए। इस दौरान विद्यार्थियों से एकमुश्त 21 हजार रुपए की फीस जमा करा ली गई। इसमें पंजीयन, रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी की फीस शामिल थी। 2020 में 23 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लग गया। इसके चलते आज तक शत प्रतिशत की उपस्थिति के साथ कालेज और विवि नहीं खोले गए हैं। इसके बाद भी बीयू ने आरडीसी में शामिल होने के लिए रिसर्च सेंटर और लाईब्रेरी की फीस जमा करा ली है। इसमें उन्हें रिसर्च सेंटर के साढ़े चार हजार और लाइब्रेरी के करीब 1200 रुपए का भुगतान करना पडा है। जब विद्यार्थियों ने कहाकि कोरोना काल के चलते लॉकडाउन में सब बंद था। इस दौरान उन्होंने रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी का उपयोग नहीं किया है, तो उन्हें क्यों फीस देना पड़ेगी। तब बीयू अधिकारियों ने उन्हें आरडीसी में शामिल नहीं होने की बात कह दी।
2017 में हुई प्रवेश परीक्षा के दौरान एक साल में आरडीसी कराना थी। जो जुलाई 2020 में हुई है। इसमें विद्यार्थियों का दो साल रुकना पड़ा है। इसके चलते उन्हें रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी का भुगतान करना पडा है। यह वह समय है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी।
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