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किसी भी महिला जन प्रतिनिधि के साथ दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा – डॉ. नायक

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महासमुन्द
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में महासमुंद में जन सुनवाई के दौरान रखे गये 16 प्रकरणों में से 13 प्रकरण में आपसी समझौता कराते हुए मामलों का पटाक्षेप किया वहीं 7 प्रकरणों में आपसी सहमति न बन पाने के कारण इन मामलों को नस्तीबद्ध किया गया। तीन साल पुराने किशनपुर हत्याकांड के मामलें में आवेदकों की मांग पर अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आयोग के खर्चे पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. सुनंदा ढेंगे को निष्पक्ष जांच करने को कहा है।

महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने महिलाओं को समझाईश देते हुए कहा कि घरेलू आपसी मनमुटाव का समाधान परिवार के बीच किया जा सकता है। घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान एवं आपसी सामंजस्य सुखद गृहस्थ के लिए महत्वपूर्ण है। जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित सुनवाई में मुख्य रूप से महिलाओं से मारपीट, मानसिक, शारीरिक, दैहिक प्रताडऩा, कार्यस्थल पर प्रताडऩा, दहेज प्रताडऩा, से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर जोगेन्द कुमार नायक अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक मेघा टेम्बुलकर, डिप्टी कलेक्टर बी एस मरकाम, सीमा ठाकुर, प्रशिक्षु डीएसपी सुश्री अपूर्वा सिंह, शासकीय अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

बसना विकासखंड के ग्राम जगत की आवेदिका पूर्व महिला सरपंच सुलोचना राजहंस ने चार अनावेदक के खिलाफ मानसिक प्रताडऩा एवं गांव में किसी से भी बातचीत बंद करने तथा सामान लेनदेन बंद करने की शिकायत की थी। जिसमें वर्तमान सरपंच सहित तीन अन्य अनावेदकों द्वारा उनके खिलाफ गांव के लोगों से चर्चा, भेदभाव करने तथा सामग्री लेनदेन पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस पर अनावेदकों ने बताया कि उनके खिलाफ इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और भविष्य में भी इस तरह की कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा और उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि पूर्व महिला सरपंच के हुक्का पानी बंद नहीं किया गया है तथा उनके साथ गांव के सभी लोग बातचीत करेंगे। इस प्रकरण को महिला आयोग द्वारा समझाईश दी गई की भविष्य में अनावेदको द्वारा आवेदक के खिलाफ किसी भी तरह की प्रताडऩा की जाती है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

पिथौरा विकासखंड के आवेदकों ने पुलिस अधिकारियों एवं चार अन्य लोगों के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग की। आवेदकों ने बताया कि किशनपुर हत्याकांड के मामलें में पुलिस अधिकारियों द्वारा समुचित जांच नहीं करने की जानकारी दी। इस प्रकरण पर महिला आयोग ने तीन साल पुरानें मामलें को निष्पक्ष तरीकें से जांच कराने तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के व्यय पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. सुनंदा ढेंगे को नियुक्त किया गया है। उनके सहयोग के लिए आयोग की अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान एवं एसडीओपी सुश्री अपूर्वा सिंह को दो माह के भीतर विस्तृत जांच कर रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। इस सम्बंध में आवश्यकतानुसार न्यायालय से अनुमति प्राप्त किये जाने हेतु भी कार्यवाही किया जा सकेगा।

इसी तरह पिथौरा के आवेदिका ने पटवारी पुत्र को मानसिक प्रताडऩा एवं भरण पोषण की राशि दिलाने की मांग की। जिस पर आयोग ने अनावेदक को आपसी रजामंदी से प्रत्यके माह की पहली तारीख को 8,000 रूपए आवेदिका के खातें आरटीजीएस के माध्यम से जमा करने तथा स्वयं अपने विभाग में आवेदन देकर लिखित सहमति प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसके अलावा आवेदिका को अनावेदक के घर पर किसी भी प्रकार की दखल अंदाजी नहीं करने के निर्देश दिए। इस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताई। इसके अलावा पिथौरा के आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ दैहिक शोषण की शिकायत की थी। इस पर अध्यक्ष ने दोनो पक्षो को गंभीरता से सुनने के बाद पति-पत्नि को सुलह के साथ रहने की समझाईश दी। एक अन्य प्रकरण में महिला आवेदक ने दैहिक शोषण का आरोप लगाया। इस पर आयोग ने दोनों पक्षों की बातों को गम्भीरता पूर्वक सुनकर अनावेदिका को भरण-पोषण के लिए एकमुश्त 1,60,000 (एक लाख 60 हजार रूपए) की राशि देने के निर्देश दिए। इस पर आवेदक एवं अनावेदिका पक्ष ने आयोग के समक्ष आपसी रजामंदी में तलाक लेने की बात भी स्वीकार की।

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