करोड़ो खर्च के बाद भी घटी प्रदेश की हरियाली, भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की रिपोर्ट
भोपाल
यह एक विडम्बना ही कही जाएगी कि सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश में हरियाली बढ़ने की बजाय घट रही है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि पौधरोपण में होने वाली औपचारिकता और लापरवाही के कारण हरियाली में प्रदेश की स्थिति अच्छी नहीं हो पा रही है। संस्थान ने प्रारंभिक रिपोर्ट वन विभाग को भेजकर आकलन करने को कहा है। विभाग की टीप के बाद संस्थान इसे जारी करेगा। संस्थान हर दो साल में सर्वे करता है।
हैरत की बात है कि प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है और ये वन क्षेत्र आदिवासी बहुल 18 जिलों में आता है। संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है। इस हिसाब से आदिवासी बहुल इलाकों में जंगलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वन अधिकार कानून आने के बाद पेड़ों की कटाई में तेजी आई है। वहीं अतिक्रमण भी बढ़ा है। वन विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2017 और 2019 के बीच प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है।
भोपाल में भी हरियाली का प्रतिशत तेजी से कम होता जा रहा है। राजधानी भोपाल में पिछले दो दशक में 44 प्रतिशत हरियाली कम हुई है, जिसका सीधा असर पयार्वरण में असंतुलन, गिरते जलस्तर और बढ़ते तापमान के रूप में सामने आ रहा है। हालांकि विकास कार्यों के फेर में लगातार हो रही पेड़ों की कटाई अगले कुछ वर्षों तक रूकने वाली नहीं है।
हरियाली में आई इस बड़ी गिरावट का खुलासा करने वाली इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस बेंगलुरु की रिपोर्ट बताती है कि हालात नहीं सुधरे तो 2030 तक हरियाली सिकुड़कर महज 4.10 प्रतिशत से कम रह जाएगी।
पिछले दो दशक पहले हरियाली 66 प्रतिशत थी और अब ये 22 प्रतिशत रह गई है। संस्था ने भोपाल, अहमदाबाद, हैदराबाद और कोलकाता की हरियाली के आंकड़े सेटेलाइट सेंसर से जुटाए हैं। राजधानी के विशेषज्ञों का भी कहना है कि पौधरोपण के साथ जल संरक्षण के उपायों को बढ़ाना पड़ेगा। हरियाली की कई जगह आज सूखे इलाकों ने ले ली है।
वन विभाग और अन्य संस्थानों द्वारा पिछले पांच सालों में प्रदेश में 40 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं, लेकिन 20 करोड़ भी जिंदा नहीं बचे हैं। वन विभाग के पास जीवित बचे पौधों का ठीक-ठीक आंकड़ा तक नहीं है, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि 50 फीसदी से कम पौधे ही जीवित रह पाते हैं। इस साल 10 करोड़ 25 लाख पौधे लगाने की योजना है। इनमें से सात करोड़ पौधे नर्मदा कैचमेंट के 16 जिलों में रोपे गए थे। इनमें से 20 फीसदी से ज्यादा पौधे नष्ट हो गए हैं। लिहाजा विभाग ने सभी मैदानी वन अफसरों को पौधों की सुरक्षा करने को कहा है।
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