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कमेटी 2 महीने में दे रिपोर्ट, 10 दिनों के भीतर हो पहली बैठक: सुप्रीम कोर्ट

 
नई दिल्ली

सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता असफल रहने के बाद अब देश की उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए अगले आदेश तक नए कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 48 दिनों से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन भी किया है।कृषि कानूनों को लेकर समस्या का समाधान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवट और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और डा प्रमोद जोशी को शामिल किया गया है। 

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को आदेश दिया कि वह 2 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे। इसके अलावा कमेटी को अपनी पहली बैठक 10 दिनों के भीतर करने का आदेश सुनाया है। इस बीच कांग्रेस ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमिटी में शामिल सदस्यों पर सवाल उठाया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने आज किसानों से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई है। कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले क़ानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं। ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?

 उन्होंने आगे कहा, 'ये 3 काले कानून देश की खाद्य सुरक्षा पर हमला हैं, जिसके 3 स्तंभ हैं- सरकारी खरीद, MSP, राशन प्रणाली जिससे 86 करोड़ लोगों को 2 रुपये किलो अनाज मिलता है। इसलिए कांग्रेस 3 कृषि क़ानूनों का विरोध तब तक करती रहेगी जब तक मोदी सरकार इन्हें खत्म नहीं कर देती।'

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