छत्तीसगढ़

आंवरी के गौठान में गौ-सेवा के साथ किया जा रहा सब्जी उत्पादन और कड़कनाथ पालन

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कांकेर
राज्य शासन द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत् जिले में निर्मित गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से महिलाएं आत्म निर्भर बन रही हैं। जिले के चारामा विकासखण्ड के ग्राम आंवरी में संचालित गौठान में पशुधन के लिए औजला टैंक निर्माण किया गया है और साथ ही नेपियर घास भी लगाया गया है। महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गौठान की जमीन में साग-सब्जी की खेती के अलावा कड़कनाथ मुर्गी का पालन किया जा रहा है। उनके द्वारा गौठान की जमीन में बरबट्टी, लौकी, टमाटर, हल्दी, जीमीकंद, करेला, अरहर, प्याज, धनिया और लहसून इत्यादि की खेती की जा रही है, जिससे उन्हें आमदनी प्राप्त होना शुरू हो गया है। उनके द्वारा उत्पादित  सब्जी का विक्रय स्थानीय बाजार में किया जा रहा है, कड़कनाथ मुर्गी-मुर्गा भी बेचने के लायक हो रहे हैं, जिनके विक्रय से समूह के महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी होगी।

जय सफुरा माता महिला स्व-सहायता समूह की 22 सदस्य महिलाओं द्वारा गौठान से लगे बाड़ी में साग-सब्जी उत्पादन करने बीड़ा उठाया गया है। सब्जी-भाजी के विक्रय से उन्हें लगभग 6 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त हो चुका है। समूह की अध्यक्ष पूनम डहरे ने बताया कि साग-सब्जी विक्रय के साथ घर में खाने के लिए भी उपयोग में  लाते हैं, सब्जी खरीदने के पैसे भी बचत हो रही है। इसी प्रकार जय अम्बे स्व-सहायता समूह के महिलाओं द्वारा कड़कनाथ के 400 चूजा खरीदकर मुर्गी पालन का कार्य प्रारंभ किया गया है। चूजे अब बढ़कर एक से डेढ़ किलो का हो गये है, 2 किलो से ऊपर का होने पर कड़कनाथ को विक्रय किया जाएगा। गुरू घासीदास स्व-सहायता समूह के महिलाओं द्वारा गौठान में खरीदे गये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट भी बनाया जा रहा है, इसके लिए 35 वर्मी टांका बनाया गया है।

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