असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिए किताब का प्रकाशन, जानिए विधानसभा अध्यक्ष ने क्या उठाया कदम
भोपाल
मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक अब ससुर, गंदी सूरत, 420, सफेद झूठ, दुराचारी, नीच आत्मा, डाकू, यार और भ्रष्टाचारी जैसे करीब 1500 शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. विधानसभा में रविवार को आज असंसदीय शब्दों की किताब जारी की गई. इसमें सदन की गरिमा को ठोस पहुंचाने वाले 15 सौ से ज्यादा शब्दों को शामिल किया गया. विधानसभा का सत्र 9 अगस्त से शुरू हो रहा है.
असंसदीय शब्दों की यह किताब विधायकों को नसीहत के साथ दी गई. उन्हें नसीहत दी गई कि वे विधानसभा में सदन की कार्रवाई के दौरान ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें, जो व्यक्तिगत होने के साथ सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले हों. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि विधानसभा जनता की आस्था का केंद्र है. जिस दिन विधानसभा के अंदर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल होना बंद हो जाएगा उस दिन किताब को हटा लिया जाएगा.
विधानसभा स्पीकर ने कहा कि इस किताब का प्रकाशन सदस्यों को यह ध्यान दिलाने के लिए किया गया है कि उन्हें कौन से शब्दों का इस्तेमाल सदन के अंदर नहीं करना है. पंद्रह सौ शब्दों की किताब में सदन की कार्यवाही में विलोपित हुए शब्दों को भी शामिल किया गया है. विधानसभा स्पीकर ने कहा है कि संस्कृति को बचाना सबकी जिम्मेदारी है. विधानसभा में सदस्यों के बोलने का कोई रीटेक नहीं होता.
विधानसभा में अब जिन शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है उनमें ससुर, गंदी सूरत, 420, धोबी के कुत्ते की तरह, चोर का भाई, 420, चिल्लर चिल्लर, झूठा, उल्लू का पट्ठा, सफेद झूठ, दुराचारी, नीच, आत्मा, डाकू, मूर्ख, चोर, बदमाश, बूढ़ा शेर, लफंग, शेखी बघारना, कम अक्ल, पुलिस के कुत्ते दोस्त, भ्रष्ट शैतान, बचकाना, चुड़ैल, शिखंडी, लल्लू, यार, भ्रष्टाचारी जैसे शब्द शामिल किए गए हैं.
इस किताब को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि कई बार विधानसभा में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हो जाता है, जो शिष्टाचार को नहीं दर्शाता. कई बार शब्द गुस्से में निकल जाते हैं. शब्दों का चयन गरिमामय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधानसभा स्पीकर की पहल सराहनीय है. सदस्यों को इस बात की जानकारी मिलेगी कि कौन से शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना है और विधानसभा में बहस सारगर्भित होगी. वहीं, विधानसभा में अमर्यादित शब्दों के प्रकाशन पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा है कि यह जनता के लिए आश्चर्य का विषय होगा कि विधानसभा में विधायकों को समझाने के लिए और असंसदीय शब्दों की किताब निकालना पड़ी है.
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