भोपाल
शिवराज सरकार के सत्ता में वापसी के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार और बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी गठन को लेकर चर्चा तेज थी। हालांकि मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर दिया गया। साथ ही बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन हो चूका है। जिसके बाद शिवराज सरकार पार्टी के असंतुष्ट सांसद-विधायकों (MLA) को एडजस्ट की तैयारी में है। इसके लिए तैयारियां की जा रही है।
दरअसल पार्टी के असंतुष्ट सांसद और विधायकों को मंत्री का दर्जा देने के लिए शिवराज सरकार ने प्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन अध्यादेश 2020 लागू किया है। वहीं बैंकों के अध्यक्ष को कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा देने की भी तैयारी की गई है। इसके लिए सांसद और विधायकों को पहले बैंक की प्राथमिक सदस्यता लेनी होगी। इसके बाद निर्वाचन के जरिए वह अध्यक्ष बन सकेंगे।
दरअसल कॉपरेटिव बैंक (co-operative bank) की प्राथमिक सदस्यता लेने के बाद विधायक और सांसद उसके ऋणी और अऋणी सदस्य बन सकेंगे। अध्यक्षों की नियुक्ति बैंक के निर्वाचन के बाद ही की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने सहकारी अधिनियम में संशोधन कर प्रशासक की सहायता के लिए 5 सदस्य समिति का भी गठन किया है।
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