वक्फ विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट कल लोकसभा में होगी पेश

नई दिल्ली
वक्फ (संशोधन) विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति (JPC) की रिपोर्ट सोमवार को लोकसभा में पेश की जाएगी। वहीं पैनल में मौजूद कई विपक्षी सांसदों का कहना है कि उनके असहमति नोट को बिना उनकी जानकारी के ही हटा दिया गया। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया है कि समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल और सदस्य संजय जायसवाल सोमवार को लोकसभा में रिपोर्ट पेश करेंगे। समिति ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को रिपोर्ट सौंप दी थी।
समिति ने बुधवार को बहुमत से रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था, जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के सदस्यों द्वारा सुझाए गए संशोधन शामिल किए गए थे। जिसके बाद विपक्ष ने इस प्रक्रिया को वक्फ बोर्डों को नष्ट करने का प्रयास करार दिया। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने मसौदा कानून पर रिपोर्ट को 15-11 बहुमत से अपनाया।
विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति जताई। भाजपा सदस्यों ने जोर देकर कहा कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की व्यवस्था करता है। दूसरी ओर, विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला और वक्फ बोर्डों के कामकाज में हस्तक्षेप करार दिया।
कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि उन्होंने असहमति पत्र दिया था जिसे हटा दिया गया। ऐसे में विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, बिना मेरी जनकारी के ही डिसेंट नोट को हटा दिया गया। वक्फ विधेयक पर बनी जॉइंट कमेटी का पहले ही तमाशा बना दिया गया। वहीं अब विपक्षी सांसदों को भी दरकिनार कर दिया गया। हमें चुप कराने के लिए यह सब क्यों किया जा रहा है।
इससे पहले शुक्रवार को असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि विधेयक पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर उनके विस्तृत असहमति नोट को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उनकी जानकारी के बिना हटा दिया। समिति के सदस्य ओवैसी ने इस रिपोर्ट पर 231 पृष्ठों का असहमति नोट दिया था। ओवैसी ने ‘एक्स’ पर लिखा, था‘मैंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संयुक्त समिति को एक विस्तृत असहमति नोट सौंपा था। यह चौंकाने वाली बात है कि मेरे नोट के कुछ हिस्सों को मेरी जानकारी के बिना संपादित किया गया। हटाए गये खंड विवादास्पद नहीं थे; उनमें केवल तथ्य बताए गए थे।’
उन्होंने कहा, ‘‘(समिति के) अध्यक्ष जगदंबिका पाल जैसी रिपोर्ट चाहते थे, वैसी रिपोर्ट तैयार करवा ली , लेकिन विपक्ष की आवाज को क्यों दबाया गया? चूंकि उन्होंने मेरी रिपोर्ट को बदलने के लिए एक नियम का दुरुपयोग किया है, इसलिए मैं जल्द ही अपना पूरा असहमति नोट जनता को पढ़ने के लिए जारी करूंगा।’
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