विश्व समुदाय के सामने ईरान की एक खौफनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मचा हड़कंप

नई दिल्ली
विश्व समुदाय के सामने ईरान की एक खौफनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि ईरान सिर्फ यूरेनियम संवर्धन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने गुप्त रूप से परमाणु हथियार तैयार करने की दिशा में कई गंभीर परीक्षण और योजनाएं भी अंजाम दी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने 9 परमाणु बमों का डिजाइन तैयार किया और तीन गुप्त साइटों पर रेडियोएक्टिव सामग्री भी एकत्र की। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हड़कंप मच गया है, खासकर उस वक्त जब अमेरिका और ईरान एक नई परमाणु डील के बेहद करीब माने जा रहे थे।
IAEA का बड़ा खुलासा
IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने 2003 में दो बार इम्प्लोजन परीक्षण किए। एक 15 फरवरी और दूसरा 3 जुलाई को। यह वही तकनीक है जो परमाणु बम के कोर को विस्फोटित करने में इस्तेमाल की जाती है, और इसका कोई असैन्य प्रयोग नहीं होता। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईरान के पास कम से कम 9 परमाणु बम तैयार करने लायक डिजाइन और तकनीकी योजनाएं मौजूद हैं।
गुप्त साइट्स पर हथियार निर्माण का सबूत
ईरान ने गुप्त रूप से तीन स्थानों पर गतिविधियां चलाईं। इन स्थानों पर न्यूट्रॉन डिटेक्टर, इम्प्लोजन सिस्टम और रेडिएशन उपकरण पाए गए। वरामिन साइट से UF6 सिलिंडर, हाइड्रोफ्लोरिक एसिड और अन्य बम निर्माण में उपयोग होने वाले केमिकल्स भी बरामद हुए हैं।
मोसाद की पुरानी चोरी बनी सबूत की कुंजी
रिपोर्ट में जिन दस्तावेजों का हवाला दिया गया है, वो वही हैं जिन्हें इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने 2018 में तेहरान से चोरी किया था। ये दस्तावेज ईरान के लंबे समय से छुपाए गए परमाणु एजेंडे का सबूत हैं। 20 साल पुरानी योजना को ईरान ने गुप्त रूप से संरक्षित रखा, और 2025 तक परमाणु हथियार बनाने की क्षमता** हासिल करने की दिशा में वह सक्रिय हो चुका है।
तुर्कुज़ाबाद में छिपा रेडियोधर्मी जखीरा गायब
IAEA रिपोर्ट के मुताबिक 2009 से 2018 के बीच ईरान ने तुर्कुज़ाबाद में बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री छिपाकर रखी थी, जो अब गायब है। इसके अलावा Jaber Ibn Hayan नामक लैब से यूरेनियम के गायब होने की पुष्टि हुई है, जो इसी परमाणु परियोजना से जुड़ा माना जा रहा है।
सख्त कदम की मांग
IAEA ने कहा कि ईरान ने जांच के दौरान बार-बार झूठी या विरोधाभासी जानकारी दी है और कई सवालों के जवाब अधूरे छोड़ दिए हैं। इंटरनेशनल थिंक टैंक Institute for Science and International Security के प्रमुख डेविड अलब्राइट ने इस रिपोर्ट को गंभीर सुरक्षा संकट बताते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने की मांग की है। इज़राइल पहले ही ईरान पर सैन्य कार्रवाई के संकेत दे चुका है। वहीं, अमेरिका की नई परमाणु डील की प्रक्रिया इस रिपोर्ट से पटरी से उतर सकती है ।
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